तु शुरुआत कर

एक दफा तु जरा हंसकर बात कर
मैं ही क्यूँ इस बार तु शुरुआत कर

रोज तो सताती है मुझे , ख्वाबो में
कभी तो , असल में मुलाकात कर

दिल खामोश है शायद ना बोलेगा
तू सीधे-सीधे मुझसे सवालात कर

हर बार तू याद आये जख्म दे ऐसा
एक बार फिर से कोई वारदात कर

ना चाँद छिपे ना ये तारे हों ओझल
न हो सवेरा मेरे खुदा ऐसी रात कर

#गुनी…

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