एक छोटी सी कोशिश देखें मेरी भी
ईद की मिठाईयां भेजी थी हमने, वो सरहदों की दीवार ले आये
मौहब्बत से भी हो सकती थी , ऐवें ही बातो मे रफ़्तार ले आये
माना खफा हो तुम पहले ही हमसे , त्यौहार ने क्या बिगाड़ा था
अरे आज तो रहने देते, बिना बात के ही फिर हथियार ले आये
अरे भाईजान पूरा साल ही तो गुजारते हैं, हम मैदान-ए-जंग में
खुदा की इबादत का था वक़्त, तब शैतान सा किरदार ले आये
मिठाइयों के साथ साथ शुद्ध दूध की सेवंयों की कसर न छोड़ी
वें पुराने किस्सों के दरमियां मनाने को खून का त्यौहार ले आये
वो जानते हैं कि देर तलक नहीं रुकते हिन्द मे ढेर बारूद के भी
जाने क्या सोचकर वो चंद गोलियां उस पार से इस पार ले आये
हाँ वाकिफ थे मेरे वतन के सिपाही, इस पुरानी फितरत से तेरी
फिर वास्ते पुराने भाईचारे के , खरीदकर फूलो का हार ले आये
#गुनी…