तुम ख़ास हो हम हैं ख़ाक कहाँ मुमकिन है मुलाकात
फिर भी चाहत के भरोसे रोशन होती है, मेरी हर रात
चाहे कितनी भी कोशिश करलो , भूलने – भुलाने की
जब पुराने पन्नों को पलटोगी, याद आएगी मेरी बात
#गुनी…
मेरी अपनी कहानी
तुम ख़ास हो हम हैं ख़ाक कहाँ मुमकिन है मुलाकात
फिर भी चाहत के भरोसे रोशन होती है, मेरी हर रात
चाहे कितनी भी कोशिश करलो , भूलने – भुलाने की
जब पुराने पन्नों को पलटोगी, याद आएगी मेरी बात
#गुनी…