इतना लिपट कर रोया माँ से, मेरे आसूँ मोती बन गए
माँ के वो थप्पड़, जैसे मेरे आँखों की ज्योति बन गए
जिसने रुलाया माँ को असीमित गमो में कुछ इस कदर
खुबसूरत कपडे भी उनके, फटी पुरानी धोती बन गए
मेरी अपनी कहानी
इतना लिपट कर रोया माँ से, मेरे आसूँ मोती बन गए
माँ के वो थप्पड़, जैसे मेरे आँखों की ज्योति बन गए
जिसने रुलाया माँ को असीमित गमो में कुछ इस कदर
खुबसूरत कपडे भी उनके, फटी पुरानी धोती बन गए