क्या जताना चाहती हो

यूँ आँखों से ओझल होकर , तुम क्या दिखाना चाहती हो
ऐसे मुख को हमसे मोड़कर , तुम क्या बताना चाहती हो
हम तो रह लेंगे आसपास ही , उस बहती हवा के माफिक
पर खुद को हमसे यूँ छिपाकर तुम क्या जताना चाहती हो

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *