नारी बेटी है, बहन है, कहीं बहू, तो कहीं माँ का रूप लेती है
घर की हर उलझन को समझे निर्णय सबके अनुरूप लेती है
बस घर चलाना ही नहीं आता, संघर्ष की भी नेता है ये नारी
कभी अन्तरिक्ष की राही, तो कभी लक्ष्मी सा स्वरूप लेती है
मेरी अपनी कहानी
नारी बेटी है, बहन है, कहीं बहू, तो कहीं माँ का रूप लेती है
घर की हर उलझन को समझे निर्णय सबके अनुरूप लेती है
बस घर चलाना ही नहीं आता, संघर्ष की भी नेता है ये नारी
कभी अन्तरिक्ष की राही, तो कभी लक्ष्मी सा स्वरूप लेती है