आज अचानक बचपन की एक घटना याद आ गयी जब बहुत छोटा था विश्वास और अन्धविश्वास से कहीं परे जब मैंने मौहल्ले के कुछ लोगो से सीखा कि बिल्ली रास्ता काट जाये तो अपशगुन होता है एक दिन मेरे घर से की दहलीज से होकर एक बिल्ली निकल गयी मैंने भी चप्पल निकली और लगा पीटने अरे अरे …. बिल्ली को नहीं जमीं को … आज सोचकर हँसता हूँ बिल्ली के रास्ता काटने से क्या कुछ होगा…..खेर चलो माना होगा कुछ, लेकिन फिर इंसाफ तो करिए नुकसान करे बिल्ली और पिटाई धरती की और बेचारी चप्पल वो भी तो कुछ कह नहीं सकती ….!
बचपन गया छोडो छींक और बिल्ली का अन्धविश्वास
मंदबुद्धि हो और हो मुरख, अब लोग करें तुम्हारा हास
गर बिल्ली से कुछ होता, पालते हम बिल्ली सीमा पर
कान्हा और राम मारते छींक, क्यूँ रचते वो अपना रास
#गुनी ….